भारतीय रेलवे ने पूर्व राष्ट्रपति को एक अनोखे तरीके से अपनी श्रद्धांजलि दी है। रेलवे ने डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की याद में बेंगलुरु के यशवंतपुर रेलवे स्टेशन पर उनकी एक खूबसूरत प्रतिमा स्थापित की है।
इसे रेलवे के इंजीनियरों ने ही डेढ़ महीने में बनाकर तैयार किया है। इस मूर्ति को बनाने में ऐसी चीजों का इस्तेमाल किया गया है, जो रेलवे के उपयोग लायक नहीं रह गई थीं। आज डॉ. कलाम की ये मूर्ति इस स्टेशन से गुजरने वाले हर व्यक्ति के लिए आर्कषण का केंद्र बन गई है।
रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम रेलवे ने पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को कर्नाटक के यशवंतपुर रेलवे स्टेशन पर बेहद ही रचनात्मक तरीके से सम्मान देने का काम किया है। गोल्डन कलाकृति वाली डॉ. कलाम की ये प्रतिमा रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक के बीच की खाली जगह का इस्तेमाल करते हुए स्थापित की गई है। इस रेलवे स्टेशन से विस्टाडोम कोच और दुरंतो और संपर्क क्रांति ट्रेनों सहित दैनिक आधार पर औसतन 200 ट्रेनें गुजरती हैं।
डॉ. कलाम की इस प्रतिमा का वजन 800 किलोग्राम है। इसकी ऊंचाई 7.8 फीट है। इसमें जो स्क्रैप इस्तेमाल किए गए हैं, उनमें नट- बोल्ट, वायर की रस्सी, साबुन के कंटेनर और स्पंज के टुकड़े जैसी चीजें लगाई गई हैं। इसे तैयार करने वाले मेकेनिकल डिपार्टमेंट के इंजीनियरों ने सबसे पहले एक मिट्टी का मॉडल तैयार किया था और एक प्लास्टिक ऑफ पेरिस मोल्ड बनाया गया था। जिसके आधार पर इन्होंने नट, बोल्ट और धातुओं को मोल्ड कर प्रतिमा का रूप दिया।
गौरतलब है कि वेस्ट से बेस्ट तैयार करने में यशवंतपुर कोचिंग डिपो ने पहले भी अपना जलवा दिखाया है और टीम इससे पहले स्वामी विवेकानंद की मूर्ति से लेकर ‘मेक इन इंडिया’ के शेर का थ्री डी मॉडल तक तैयार कर चुकी है।