नई दिल्ली। रूसी समाचार एजेंसी तास ने बुधवार को दावा किया है। कहा है कि पिछले साल जून में, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़पों के दौरान, ‘कम से कम 20 भारतीय और 45 चीनी सैनिक मारे गए थे।
एक लेख में, जिसमें पैंगॉन्ग त्सो झील के पास की सरहद से, चीन और भारत के सैनिकों की वापसी के बारे में, चीनी रक्षा मंत्रालय के बयान का विस्तार से हवाला दिया गया है। तास ने कहा कि मई और जून 2020 में, उस इलाके में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसमें कम से कम 20 भारतीय और 45 चीनी सैनिकों की मौत हुई थी’।
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रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि सैन्य कमांडरों के स्तर पर, नौवें दौर की बातचीत के बाद ही, दोनों सेनाओं के एक साथ पीछे हटने को लेकर, समझौते पर पहुंचा जा सका, जिसकी संख्या बढ़कर दोनों ओर 50,000 पहुंच गई थी।
जून 2020 में, चीन ने पूर्वी लद्दाख में हुई झड़प में, 40 से अधिक चीनी सैनिकों के मारे जाने की खबरों को, ‘फेक न्यूज’ करार दिया था। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा था, ‘जहां तक आपके मीडिया में देखने का सवाल है। मसलन कुछ लोगों ने आरोप लगाया, कि चीन की ओर से मरने वालों की संख्या 40 थी, तो मैं यकीन के साथ आपसे कह सकता हूं, कि ये फेक न्यूज है’।
चीन का मृतकों की संख्या बताने से इनकार
गलवान घाटी संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे, लेकिन चीन ने अपने मृतकों की संख्या नहीं बताई है। जब एक वेबिनार में पूछा गया, कि अमेरिकी इंटेलिजेंस की खबरों के मुताबिक, चीन की पीपुल्स आर्मी के 34 सैनिक मारे गए थे, तो भारत में बीजिंग के राजदूत सन वीडॉन्ग ने सवाल का जवाब नहीं दिया, और कहा कि इससे स्थिति को सुधारने में मदद नहीं मिलेगी।
15 जून को गलवान घाटी में झड़प के बाद से, चीन अपने मृतकों की संख्या बताने से इनकार करता रहा है, लेकिन खबरों में कहा गया था, कि मारे जाने वालों में, चीनी सेना का एक कमांडिंग ऑफिसर भी शामिल था।
कुछ खबरों में, चीन की ओर से मारे गए सैनिकों की संख्या भी बताई गई थी। झूठा दावा किया कि 100 चीनी सैनिक मारे गए थे, जबकि एक अमेरिकी साप्ताहिक समाचार पत्रिका न्यूज वीक ने दावा किया, कि भारत के साथ झड़प में, 60 से अधिक चीनी सैनिक मारे गए थे।
चीन, रूस और भारत सभी, अर्थव्यवस्थाओं के एक उभरते समूह का हिस्सा हैं, जिसे ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, इंडिया, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका) कहा जाता है।