धर्म डेस्क। मान्यता है कि नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं, जहां वे नौ दिनों तक वास करते हुए अपने भक्तों की साधना से प्रसन्न होकर उनको आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा-पाठ करने से आम दिनों के मुकाबले पूजा का कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है।
इस बार मलमास का महीना होने के कारण जिसे अधिकमास भी कहते हैं नवरात्रि एक महीने की देरी शुरू हो रहे हैं। नवरात्रि का अर्थ होता है नौ रातें। ऐसे में इन नौ दिनों में देवी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। सभी नवरात्रि में चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करके लगातार नौ दिनों तक उपवास और साधना करते हुए नवमी तिथि पर नवरात्रि की समाप्ति होती है। आइए जानते हैं नवरात्रि का महत्व और पूजा विधि…
मान्यता है कि नवरात्रि पर देवी दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं, जहां वे नौ दिनों तक वास करते हुए अपने भक्तों की साधना से प्रसन्न होकर उनको आशीर्वाद देती हैं। नवरात्रि पर देवी दुर्गा की साधना और पूजा-पाठ करने से आम दिनों के मुकाबले पूजा का कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि पर ही विवाह को छोड़कर सभी तरह के शुभ कार्यों की शुरुआत करना और खरीदरारी करना बेहद ही शुभ माना जाता है। मान्यता है भगवान राम ने भी लंका पर चढ़ाई करने से पहले रावण संग युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए देवी की साधना की थी। नवरात्रि पर सभी शक्तिपीठों पर विशेष आयोजन किए जाते हैं जहां पर भारी संख्या में लोग माता का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके दरबार में शीश झुकाने जाते हैं।
नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना की जाती है जिसे कलश स्थापना भी कहते हैं। पहले दिन घटस्थापना का विशेष महत्व होता है। प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ ही नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि का पर्व आरंभ हो जाता है। पहले दिन में विधि-विधान से घटस्थापना करते हुए भगवान गणेश की वंदना के साथ माता के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा, आरती और भजन किया जाता है।