धर्म डेस्क। सूर्य की उपासना तथा छठी मैया की अर्चना का महापर्व छठ पूजा का प्रारंभ आज से हो रहा है। छठ पूजा संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा तथा उसके सुखद जीवन के लिए किया जाता है। छठ पूजा की महिमा अनंत है। छठ पूजा के महत्व को समझने के लिए आपको नि:संतान राजा प्रियवद की कथा जरूर पढ़नी चाहिए। कैसे उन्होंने अपने पुत्र की रक्षा के लिए यह छठ पूजा का व्रत किया। आइए पढ़ते हैं छठ पूजा के महत्व की कथा।
एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय राजा प्रियवद थे। विवाह के काफी समय तक उनको कोई संतान नहीं हुई। उनको इस बात की पीड़ा सताती थी। एक बार उन्होंने महर्षि कश्यप से अपने मन की व्यथा कही। महर्षि कश्यप ने राजा को संतान के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ कराने का सुझाव दिया।
राजा प्रियवद अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने पुत्रेष्टि यज्ञ विधि विधान से कराया। यज्ञ में आहुति के लिए खीर बनाई गई। उस खीर को राजा की पत्नी मालिनी को प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने को कहा गया। रानी ने सहर्ष उस खीर को खा लिया। उसके प्रभाव से रानी गर्भवती हो गईं और कुछ समय पश्चात एक बालक को जन्म दिया।
पुत्र प्राप्ति के समाचार से राजा प्रियवद बहुत खुश हुए, लेकिन यह खुशी कुछ समय के लिए ही थी। वह पुत्र मृत पैदा हुआ था। वह उसके शव को लेकर श्मशान घाट पर पहुंचे। अपने बेटे के वियोग में इतने दुखी थे कि वे भी अपने प्राण त्यागने लगे। तभी वहां पर ब्रह्म देव की मानस पुत्री देवसेना प्रकट हुईं।