लखनऊ। प्रदेश के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री एके शर्मा (AK Sharma) ने कहा कि प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री के विजन एवं सकल्प को पूरा करने के लिए प्रदेश के थर्मल तापीय परियोजनाओं में कृषि अवशेषो और बायोमास पैलेट्स के प्रयोग को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए उद्योगपतियों और किसानो को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे तापीय परियोजनाओं में कोयले पर निर्भरता में कमी आये और वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्जन में नेट जीरो एमीशन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि थर्मल पावर प्लांट में को-फायरिंग के लिए कोयले के साथ कृषि अवशेष व बायोमास पेलेट्स के प्रयोग को बढ़ाने से किसानों एवं उद्यमियों की आय में वृद्धि होगी। कृषि अवशेष एवम् पराली के न जलाने से वायु प्रदूषण में भी कमी आएगी साथ ही प्रधानमंत्री जी के ‘बेस्ट टू वेल्थ‘ और ‘कचरे से कंचन‘ बनाने के सकल्प एवं दृष्टिकोण को बल मिलेगा।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा (AK Sharma) आज होटल हयात, गोमतीनगर में उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड एवम् ऊर्जा मंत्रालय, भारत सरकार के समर्थ के सहयोग से आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। यह कार्यशाला तापीय परियोजनाओं में बायोमास पेलेट्स के प्रयोग को बढ़ावा दिए जाने तथा उद्यमियों को बायोमास के क्षेत्र में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु आयोजित की गई थी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के आयोजन से किसानो, उद्योगपतियो, स्टेकहोल्डर, स्टार्टअप को एक प्लेटफार्म मिला, जहां पर विशेषज्ञ से उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान और लाभों की जानकारी मिली। उन्होंने कहा की प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा से देश बायोएनर्जी की ओर बढ़ रहा हैं। प्रदेश सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने हेतु पहल कर रही, बायोमास के उत्पादन हेतु गम्भीर प्रयास किये जा रहे हैं। बायो एनर्जी नीति के तहत उद्यमियों को कई सारी सुविधाये दी जा रही हैं।
ऊर्जा मंत्री (AK Sharma) ने कहा कि ऊर्जा समाज की एक बहुत ही बेसिक जरूरत बनती जा रही है। हमारे शास्त्रों में भी प्रकृति को ऊर्जा से उत्पन्न बताया गया है, फिर चाहे वह गैसीय स्थिति में हो या फिर ठोस रूप में हो। कोयला बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं, लेकिन बायोमास हमारे आस पास प्रतिवर्ष उत्पन्न होता है, यही सब रिन्युएबल सोर्स है। उन्होंने कहा कि पंजाब, गुजरात के बाद उत्तर प्रदेश बायोमास के उत्पादन में तीसरे स्थान पर है। किसानों से 1.50 रूपये से 02 रूपये प्रतिकिलो की दर से कृषि अवशेष खरीदा जा रहा है। बायोमास क्षेत्र 55 हजार करोड रुपए से बड़ा बाजार है। इसके बढ़ने से प्रतिवर्ष 20 से 30 हज़ार करोड रुपए किसानों को फायदा होगा और 25 से 30 करोड रुपए का फ़ायदा बायोमास पेलेट्स उत्पादनकर्ता को होगा। इससे रोजगार बढ़ेगा और लोगों को अपने घर के आस-पास की काम मिलेगा।
उन्होंने (AK Sharma) बताया कि हमारे देश में प्रतिव्यक्ति बिजली उपभोग करने की क्षमता दुनिया के अधिकांश देशों से बहुत कम हैं। प्रदेश में अभी एनटीपीसी के तीन और प्रदेश के दो पॉवर प्लांट्स में बायोमास पेलेट्स का प्रयोग किया जा रहा है। हमारे देश में मात्र 0.5 प्रतिशत ही बायोमास का उपयोग कोयले के साथ पॉवर प्लांट्स में हो रहा है। जबकि विश्व के अन्य देशों में 10 से 14 प्रतिशत तक बायोमास का उपयोग कोयले के साथ पॉवर प्लांट में किया जा रहा है।
कृषि अपशिष्ट से होगा बिजली उत्पादन, पराली बनेगी कोयले का विकल्प: एके शर्मा
कार्यशाला में ऊर्जा राज्य मंत्री डा0 सोमेन्द्र तोमर ने कहा कि स्वच्छ एवं ग्रीन एनर्जी प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार दोनों की प्राथमिकता में है। विद्युत उत्पादन में बायोमास के प्रयोग को बढ़ाने से सभी को फायदा होगा। भारत सरकार द्वारा तापीय परियोजनाओं में बायोमास को-फायरिंग को अनिवार्य किया गया है। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश सरकार स्वच्छ एवं ग्रीन ऊर्जा के लक्ष्य को प्राप्त करने का पूर्ण प्रयास कर रही है। पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से नये ऊर्जा स्रोतो को बढ़वा देने तथा सभी को सस्ती, सुलभ, सुरक्षित एवं सत्त ऊर्जा मिले इसके लिए कार्य किया जा रहा हैं।
अध्यक्ष उत्पादन निगम एम0 देवराज ने बताया कि कृषि अवशेष एंव बायोमास का पॉवर प्लांट में उपयोग से कार्बन उत्सर्जन में कमी आयेगी।किसान अपनी पराली को जलाने के बजाय इसे बेचेगे। इससे वायु प्रदूषण को नियंत्रित भी किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में 60 मीलियन टन बायोमास उपलब्ध है। इसमें से 43 मीलियन टन राइस बेस्ड हैं। प्रदेश में 7,000 मेगावाट विद्युत उत्पादन के लिए 100 मीलियन टन कोयले का खपत हो रही हैं। प्रदेश में 10 प्रतिशत लगभग 10 मीलियन टन बायोमास के उपयोग से 5,000 करोड़ रूपये की बचत होगी।
निदेशक उत्पादन निगम पी0 गुरूप्रसाद ने बताया कि कार्बन उत्सर्जन कमी के लिए रिन्युएवल एर्जी पर जोर दिया जा रहा है। फिर भी अलगे 30 वषों तक कोयला आधारित थर्मल पॉवर प्लांट पर निर्भरता बनी रहेगी। अभी बिजली उत्पादन में 68 करोड़ टन कोयला जलता है, जिससे 112 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन होता हैं।
मिशन डायरेक्टर समर्थ मिशन सुदीप नाग ने बताया कि समर्थ मिशन बायोमास को-फायरिंग को बढ़ावा देने हेतु गम्भीर प्रयास कर रहा है। बायोमास पैलेट्स निर्माणकर्ताओं को प्रोत्साहित भी किया जा रहा है। बायोमास पैलेट्स कृषि के अनुपयुक्त अवषेशो से निर्मित होता है, जो कि विद्युत उत्पादन में प्रयोग में लाया जाता है। उन्होंने बताया कि पूरे देश में प्राइस बेस्ड पैलेट्स के उत्पादन को बढ़वा दिया जा रहा हैं। देश में प्रतिवर्ष 750 मीलियन मी0 टन कृषि अवशेष उत्पादित होते हैं। जिसमें से 100 मिलीयन मी0 टन बायोमास खेतो में जला दिया जाता हैं। उत्तर प्रदेश 216 लाख मी0 टन बायोमास उपलब्ध हैं। जब कि प्रदेश में 23729 मे0वा0 विद्युत उत्पादन के लिए 61 लाख मी0 टन बायोमास की जरूरत होगी। उन्होंने बताया कि 02 लाख मी0 टन बायोमास का प्रयोग पॉवर संयंत्रों में किया जा रहा हैं। जिससे 02.50 लाख मी0 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आयी हैं।
ऊर्जा मंत्री एके शर्मा (AK Sharma) ने कार्यशाला का उद्घाटन किया, इस अवसर पर ऊर्जा राज्य मंत्री डा0 सोमेन्द्र तोमर , अध्यक्ष उत्पादन निगम एम0 देवराज, प्रबन्ध निदेशक उत्पादन निगम पी0 गुरू प्रसाद, मिशन डायरेक्टर समर्थ मिशन सुदीप नाग, निदेशक नेडा अनुपम शुक्ला एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहें। कार्यशाला में तापीय परियोजनाओं, विभागो, वित्तीय संस्थाओं, पैलेट् निर्माताओं, किसानो के समूहो द्वारा प्रतिभाग किया गया।