सनातन धर्म में हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) मनाई जाती है। यह गणेशजी की पूजा-आराधना और उनकी कृपा पाने के लिए विशेष दिन होता है। पंडित सौरभ कुमार मिश्रा के अनुसार, इस साल 07 सितंबर 2024 को गणेश चतुर्थी के दिन चित्रा नक्षत्र और ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है।
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) तिथि का आरंभ 06 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 17 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन दोपहर 01 बजकर 34 मिनट पर होगा। इसलिए उदयातिथि के अनुसार, 07 सितंबर को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। 07 सितंबर को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त बन रहा है। आइए जानते हैं वैभव जगताप द्वारा लिखी गई पुस्तक “गणेश चतुर्थी” गणपति बप्पा को प्रसन्न करने की सरल पूजाविधि…
गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) की पूजाविधि :
– गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) के दिन व्रती को सुबह उठकर सफेद तिल पानी में डालकर स्नान करना चाहिए।
– गणेश चतुर्थी के दिन गणेशजी का मध्याह यानी की दोपहर में जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन दोपहर में गणेश जी की पूजा-आराधना का विशेष महत्व है।
– पूजा के लिए अपने क्षमतानुसार चांदी, सोने या मिट्टी की मूर्ति को स्थापित करें।
– अब पूजा के शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें। हाथ में पाश और अंकुश धारण करें।
– सिद्धविनायक गणपति बप्पा का ध्यान करें। एकाग्रचित होकर पूजन करें।
– गणेशजी को पंचामृत से स्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से स्नान करवाएं।
– आवाहन करने के बाद गणेशजी को दो लाल वस्त्र अर्पित करें।
– इसके बाद श्रद्धाभाव से गणेशजी इत्र,फल,पान,फूल,धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
– फिर गणेशजी को 21 दूब अर्पित करें। इसके बाद अक्षत के साथ दो-दो दूब लेकर उनके प्रत्येक नाम का उचारण करते हुए अलग-अलग नामों से दूब अर्पित करें।
– अब गणेश जी को गुड़-धनिया का भोग लगाएं। इसके बाद शुद्ध घी से निर्मित 21 लड्डू अर्पित करें।
– पूजा के बाद 10 लड्डू को ब्राह्मण को दान कर दें और 10 लड्डू प्रसाद के रूप में रख लें और शेष लड्ड को गणेशजी के समक्ष नैवेद्य के रूप में रखा रहने दें।
– अगर संभव हो, तो इस दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं।
– गणेश चतुर्थी के दिन मूंगफली, वनस्पति इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रदर्शन क्यों नहीं करना चाहिए?
मान्यता है कि भाद्रपद शुक्ल पक्ष को गणेश चतुर्थी की पूजा शिवलोक में हुई थी। इस दिन स्नान, दान और व्रत-पूजन के कार्य बेहद शुभ फलदायी माने गए हैं। इस विशेष दिन चंद्रदर्शन वर्जित माना गया है। कहा जाता है कि सिंह राशि की संक्रान्ति में, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को चंद्रदर्शन करने से (चोरी,व्याभिचार, हत्या आदि)से मिथ्या कलंकित होना पड़ता है। इसलिए इस दिन चंद्रदेव के दर्शन की मनाही होती है।
यदि भूल से चंद्रदेव के दर्शन हो जाए तो ऐसा कहें-सिंह ने प्रसेनजित को मार डाला और जाम्बवान ने सिंह को यमालय भेज दिया। हे बेटा! रोओ मत,तुम्हारी स्यमन्तक मणि यह है।