अयोध्या। राम जन्मोत्सव और नवरात्रि को लेकर अयोध्या में इस बार लगभग 15 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई गई है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय का कहना है कि श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए मंदिर में ऐसे कई बड़े बदलाव किए जा रहे हैं। सबसे बड़ा बदलाव राम लला के श्रृंगार और शयन आरती को लेकर है।
रामलला (Ramlala) के श्रृंगार और शयन आरती के समय में बदलाव किया गया हो। 2 साल से कोविड-19 और श्री राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के कारण श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह बड़ा फैसला किया गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी अनिल मिश्र कहते हैं कि कोविड-19 महामारी के चलते पिछले 2 वर्षों से धार्मिक कार्यक्रम औपचारिकता भर रह गए थे।
ऐसे में जब अयोध्या में भव्य श्री राम जन्मभूमि मंदिर बन रहा है तब इस बार राम जन्मोत्सव और नवरात्रि के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु रामलला का दर्शन करने अयोध्या आएंगे। इसीलिए रामलला के दर्शन अवधि में 3 घंटे की बढ़ोतरी की गई है। अब सुबह 7:00 बजे की जगह 6:00 बजे से रामलला के दर्शन शुरू होंगे और दोपहर 11:00 की जगह 11:30 पर दर्शन अवधि समाप्त होगी।
493 साल बाद चांदी के भव्य झूले पर विराजे रामलला, दर्शन कर श्रद्धालु हुए मंत्रमुग्ध
इसी तरह दोपहर बाद पहले की तरह दोपहर के बाद 2:00 बजे से रामलला का दर्शन पुनः शुरू होगा लेकिन दर्शन अवधि शाम 6:00 बजे की जगह 7:30 बजे समाप्त होगी। इस तरह दर्शन अवधि की दोनों पारियों में डेढ़-डेढ़ घंटे की बढ़ोतरी की गई है। इसी के चलते राम लला की आरती में भी पहली बार परिवर्तन किया गया है। अब श्री राम लला की प्रातः की जाने वाली श्रृंगार आरती सुबह 5:30 बजे की जाएगी तो सायंकाल की विश्राम आरती 8:00 बजे की जाएगी और इसी के बाद मंदिर के कपाट बंद हो जाएंगे।
अशाेक वाटिका से आयी शिला रामलला काे समर्पित
श्री राम जन्मभूमि परिसर में रामलला के दरबार में अब श्रद्धालुओं को श्री हरि विष्णु के चतुर्भुज अवतार के दर्शन भी होंगे। पूरे विधि विधान के साथ 8 किलो चांदी से बनी श्री हरि विष्णु की इस प्रतिमा को नवरात्रि के पहले दिन स्थापित किया गया है। श्री हरि विष्णु की इस प्रतिमा को कर्नाटक के शंकराचार्य और कथावाचक अतुल कृष्ण महाराज ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को सौंपा था। इसीलिए इसको रामलला के मंदिर में स्थापित करने के लिए वैदिक ब्राह्मणों की मौजूदगी में सरयू नदी के जल से पहले स्नान कराया गया और उसके बाद बाकायदा मंत्रोचार के बीच पूरे विधि विधान से इसे स्थापित किया गया। हालांकि ट्रस्ट के सूत्रों की मानें तो श्री हरि विष्णु की प्रतिमा नवरात्रि और राम जन्मोत्सव को लेकर स्थापित की गई है इसके बाद इसे अन्यंत्र स्थापित करने पर विचार किया जाएगा।