भारतीय ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, शनिदेव (Shani Dev) हर व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। कहा जाता है कि व्यक्ति को हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए, क्योंकि शनिदेव नाराज हो जाए तो राजा से रंक बनने में देर नहीं लगती है। इसी कारण से शनि को कलयुग का न्यायाधीश कहा गया है शनिदेव की नाराजगी से सभी भयभीत रहते हैं। यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में शनि दोष है या शनि की साढ़े साती चल रही है तो ऐसे लोगों को शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ खास मंत्रों का जाप करना चाहिए। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, इन मंत्रों का पाठ करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
शनिदेव (Shani Dev) के मंत्र
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु:खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योऽहं तव दर्शनात्।।
शनिदेव (Shani Dev) का वैदिक मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम ।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात ।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः। ऊँ शं शनैश्चराय नमः।
ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।
शनि गायत्री मंत्र
ओम भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
शनि आह्वान मंत्र
नीलाम्बरः शूलधरः किरीटी गृध्रस्थित स्त्रस्करो धनुष्टमान् |
चतुर्भुजः सूर्य सुतः प्रशान्तः सदास्तु मह्यां वरदोल्पगामी ||
शनि (Shani) आरोग्य मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
शनिदेव (Shani Dev) का महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि (Shani ) का पौराणिक मंत्र
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।।