गोरखपुर। जनपद के महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय ( Mahayogi Gorakhnath University) , आरोग्यधाम की संस्था गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) में बीएएमएस (BAMS) प्रथम वर्ष के नवागत विद्यार्थियों के दीक्षा पाठ्यचर्या (ट्रांजिशनल करिकुलम) समारोह का शुभारंभ सोमवार को हुआ।
इस दौरान कुलाधिपति व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने कहा कि कोरोना काल में विश्व में आयुर्वेद के महत्व को पहचाना है। कोरोना संकट में विश्व ने इस पद्धति को स्वीकारा। संक्रामक रोग के उपचार के रास्ते निकले। कोरोना को हराने में आयुर्वेद सफल रहा है। इसके कारण विश्व में इसका स्थान बढ़ा है।
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मुख्यमंत्री विश्वविद्यालय के आयुर्वेद कॉलेज के बीएएमएस प्रथम वर्ष के पहले बैच के छात्रों के दीक्षा पाठ्यचर्या समारोह में बोल रहे थे। वह लखनऊ से ऑनलाइन जुड़े थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में मेडिकल टूरिज्म की शुरुआत आयुर्वेद ने ही की है। देश के कई राज्यों ने आयुर्वेद के महत्व को पहचाना। वहां पर आयुर्वेद का विकास हुआ है। जटिल रोगों के निदान का सहज रास्ता आयुर्वेद से जाता है। यह आधुनिक चिकित्सा पद्धति को टक्कर दे रही है।
आज @MGUGOfficial के अंतर्गत संचालित गुरु गोरक्षनाथ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) के ‘दीक्षा पाठ्यचर्चा’ समारोह में भाग लिया।
इंस्टीट्यूट में BAMS के प्रथम व्यावसायिक सत्र के शुभारंभ की सभी को हृदय से बधाई एवं शुभकामनाएं! pic.twitter.com/2Ag5wavPfi
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 28, 2022
सीएम ने बताया कि कोरोना काल से पूर्व विश्व में लोगों के जेहन में आयुर्वेद के प्रति हीन भावना थी। इस वजह से इस पद्धति का विकास सही तरीके से नहीं हो सका। इसके क्षेत्र में रिसर्च का भी अभाव था। अब सूरत तेजी से बदल रही है। पंचकर्म एवं अन्य आयुर्वेदिक पद्धतियां पूरे विश्व में प्रसिद्ध हुई हैं। यह पद्धति इलाज के साथ रोजगार सृजन कर रही है। देश में विदेशी मुद्रा ला रही है। यह इलाज की पद्धति निर्यात में भी योगदान दे रही है।
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उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि आयुर्वेद पद्धति पर गौरव करें। यह प्राचीनतम और सटीक इलाज की पद्धति है। इसमें नए रिसर्च को बढ़ावा देना चाहिए। इसके साथ ही आयुर्वेद से जुड़े औषधीय पौधों की खेती भी पूर्वांचल के किसान कर सकते हैं। उन्हें मार्केट प्रदान किया जाए।