लखनऊ। डिफेंस कॉरिडोर और ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई के लिए पहचान बन चुके सरोजनीनगर के भटगांव के राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर करीब 110 बीघा सरकारी जमीन (Government Land) भू-माफिया को बेच दिए जाने के मामले में 35 अधिकारियों-कर्मचारियों की गर्दन फंस गई है। जिला प्रशासन ने जांच के बाद कार्रवाई के लिए शासन को इनके नाम भेजे हैं। वर्ष 2020 से 2022 के बीच सरोजनीनगर में इन अधिकारियों-कर्मचारियों की तैनाती रही और जमीन (Government Land) बेचने में इनकी सांठगांठ सामने आई है।
जिला प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि शासन से जमीन घोटाले (Land Scam) में शामिल रहे लोगों के नाम मांगे गए थे। इनकी सूची तैयार कर भेज दी गई है। इस घोटाले में पांच पीसीएस अफसरों के साथ ही लेखपाल, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक, बाबू, रिकॉर्ड रूम केयर टेकर दोषी पाए गए हैं। दोषी पाए गए एसडीएम व एसीएम के खिलाफ कार्रवाई शासन से होनी है।
हालांकि, जिन पांच अफसरों के नाम भेजे गए हैं, उनमें से दो ने कहा है कि उनकी तैनाती बहुत थोड़े दिनों के लिए हुई थी। दोनों ने यह भी कहा है कि तैनाती के दौरान जमीन से जुड़ी किसी फाइल पर उन्होंने कोई अनुमोदन नहीं किया था। इन दलीलों के साथ उन्होंने नियुक्ति विभाग में अपनी आपत्ति दर्ज कराई है।
जिला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक जांच में दोषी पाए गए एसडीएम व एसीएम स्तर के पीसीएस अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नियुक्ति विभाग से होनी है। वहीं, लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार के खिलाफ राजस्व परिषद से कार्रवाई होगी। इसकी जांच प्रयागराज मंडलायुक्त को दी गई है। वहीं बाबू, रिकॉर्ड रूम केयर टेकर के खिलाफ कार्रवाई जिला प्रशासन खुद करेगा। यह कार्रवाई राजस्व परिषद की कार्रवाई पर निर्भर करेगी। अब शासन के निर्देश पर सभी आरोपियों को चार्जशीट दी जाएगी। इसपर वे अपना पक्ष रख सकेंगे।
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सरोजनीनगर के भटगांव में 52 किसानों को 110 बीघा जमीन पट्टे पर दी गई। हैरत की बात यह है कि इन किसानों के पक्ष में रिकॉर्ड में कोई पट्टा आदेश नहीं होने के बाद भी सांठगांठ से इन जमीनों को असंक्रमणीय से संक्रमणीय में दर्ज कर दिया गया। इसके बाद यह जमीनें भू-माफिया को बेच दी गईं। डिफेंस कॉरिडोर आने पर यूपीडा से भारी भरकम मुआवजा भी भू-माफिया ने ले लिया। डिफेंस कॉरिडोर और ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण इकाई आने के बाद यहां जमीन की कीमतें बढ़ीं। जून 2022 में तत्कालीन डीएम अभिषेक प्रकाश ने इसी मामले में राजस्व निरीक्षक जितेंद्र सिंह को निलंबित करते हुए तहसील के सभी कर्मचारियों का तबादला कर दिया था।