सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ (Karwa Chauth) का विशेष महत्व है। ये व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए करती हैं। हर साल कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। फिर शाम को करवा माता की पूजा करने के चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोलती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि करवा चौथ (Karwa Chauth) का व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनके वैवाहिक जीवन में खुशियां बनी रहती हैं। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन चंद्रमा का महत्व कई गुना अधिक बढ़ जाता है। करवा चौथ के दिन चंद्रमा को अर्घ्य देते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान अवश्य ही रखाना चाहिए। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस दिन चंद्रमा को किस तरह अर्घ्य देना चाहिए।
कब है करवा चौथ (Karwa Chauth)?
इस साल करवा चौथ (Karwa Chauth) 10 अक्टूबर शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। इस साल कार्तिक माह की चतुर्थी तिथि आज रात 10 बजकर 54 मिनट पर शुरू हो रही है। इस तिथि का समापन कल 10 अक्टूबर को रात 7 बजकर 38 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा।
करवा चौथ (Karwa Chauth) पूजा मुहूर्त
करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 57 मिनट पर प्रारंभ होगा। ये मुहूर्त शाम को 7 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ के दिन चंद्रमा के निकलने का समय 8 बजकर 13 मिनट है।
इस तरह से दें चंद्रमा को अर्घ्य
करवा चौथ (Karwa Chauth) के दिन पूजा करने और कथा सुनने के बाद चंद्रोदय के बाद कलश में चांदी का सिक्का और अक्षत डालकर ही चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। करवा चौथ के दिन जब चंद्रमा को अर्घ्य दें तो मुख उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए। मतलब उत्तर-पश्चिम दिशा की ओर मुख करके ही चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार, सूतक, पातक या मासिक धर्म होने पर महिलाओं को करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य नहीं देना चाहिए। ऐसी स्थिति में चंद्रमा को सिर्फ पांच चावल चढ़ाने चाहिए। व्रत कथा भी किसी और से सुननी चाहिए।