हर साल लाखों की तादात में मुसलमान मक्का के लिए रवाना होते हैं, जहां वो अल्लाह के घर यानी काबा शरीफ का तवाफ करते हैं। इसी सफर को हज (Hajj) का नाम दिया गया है। हज इस्लाम के अरकान यानी पांच फर्जों में से एक है, जिन्हें एक सच्चे मुसलमान को पूरा करना जरूरी माना जाता है। ऐसे में अपनी लाइफ में एक बार हज (Hajj) करना हर मुसलमान के लिए बहुत जरूरी है। अक्सर लोग हज और उमराह को एक समझते हैं लेकिन ये दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं।
उमराह पूरी साल में कभी भी किया जा सकता है, लेकिन हज हर साल इस्लामिक कैलेंजर के 12वें महीने जुल हिज्जा के दौरान किया जाता है। हज वही मुसलमान करता है, जिसके पास इसके लिए पैसे हैं और जो शारीरिक तौर पर सेहतमंद है। कुरआन शरीफ में इसका जिक्र किया गया है कि जो अल्लाह के घर तक पहुंचने की ताकत रखे, उस पर हज करना फर्ज है। इस साल भारत से 29 अप्रैल से लेकर 30 मई 2025 के बीच हज यात्रा करने के लिए सऊदी जाएंगे।
हज (Hajj) मुसलमानों के लिए क्यों जरूरी है?
मुसलमानों के लिए हज (Hajj) करने का मकसद अल्लाह से माफी मांगना, अल्लाह के करीब आना और पैगंबरों के नक्शेकदम पर चलना होता है। हज यात्रा में मुसलमानों को सफा और मरवा पहाड़ियों के बीच सात बार दौड़ना होता है। हज यात्रा के दौरान शैतान को पत्थर मारने की रस्म भी होती है। शारीरिक और आर्थिक रूप से सक्षम मुसलमानों को अपने जीवन में कम से कम एक बार हज जरूर करना चाहिए।
हज (Hajj) करने का मकसद सिर्फ एक इबादत नहीं, बल्कि हज अल्लाह के करीब होने का जरिया है। यह एक ऐसा पाक सफर है, जिसमें इंसान अपने गुनाहों की माफ़ी मांगता है, सब्र सीखता है और अल्लाह की रहमत की तलाश में निकलता है। हज के दौरान लाखों लोग एक जैसे कपड़े पहनते हैं और एक जैसे काम करते हैं। इस पूर् सफर के दौरान किसी में कोई फर्क नहीं होता है। इससे बराबरी और भाईचारे का पैगाम मिलता है।
हज (Hajj) का इतिहास
इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, हज (Hajj) का इतिहास पैगंबर इब्राहिम अलैहिस्सलाम और उनके बेटे इस्माइल अलैहिस्सलाम से जुड़ा हुआ है। जब अल्लाह के हुक्म से इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने काबा की तामीर की और लोगों को काबा में हज के लिए बुलाया, तभी से हज करने का रिवाज़ चला आ रहा है।
हज (Hajj) करने वाले मुस्लिम कई अहम जगहों जैसे मिना, अराफात और मुजदलिफा और हजरत हाजरा पर जाते हैं, जहां इब्राहिम अलैहिस्सलाम के बेटे इस्माइल की कुर्बानी और सब्र की याद में कई रस्में अदा की जाती हैं।