उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी प्रशांत कुमार (Former DGP Prashant Kumar) ने वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज (Premananda Maharaj) से मुलाकात की। यह भेंट उनके लिए एक आध्यात्मिक और भावनात्मक अनुभव लेकर आई। प्रशांत कुमार अपनी पत्नी डिंपल वर्मा और बेटी के साथ प्रेमानंद महाराज के आश्रम पहुंचे थे, जहां उन्होंने जीवन के अगले पड़ाव को लेकर मार्गदर्शन प्राप्त किया।
प्रेमानंद महाराज (Premananda Maharaj) का उपदेश
मुलाकात के दौरान प्रेमानंद महाराज (Premananda Maharaj) ने कहा कि प्रशांत कुमार (Former DGP Prashant Kumar) ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा देश और समाज की सेवा में समर्पित किया है। सेवानिवृत्ति के बाद अब यह समय भगवान के स्मरण और चिंतन में लगाने का है। उन्होंने सलाह दी कि व्यक्ति ऐसे कर्म करे जिससे अगले जन्म में भी मनुष्य जीवन प्राप्त हो।
संत ने यह भी जोर देकर कहा कि भगवान का स्मरण सभी दुखों और विपत्तियों से रक्षा करता है और यही मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा सहारा है।
बेटी का विवाह भी एक तरह से भगवान की सेवा ही है
प्रशांत कुमार (Former DGP Prashant Kumar) की पत्नी, डिंपल वर्मा ने प्रेमानंद महाराज से अपनी बेटी के विवाह की चिंता साझा की। इस पर महाराज जी ने एक बहुत ही प्रेरणादायक जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बेटी का विवाह भी एक तरह से भगवान की सेवा ही है। उन्होंने समझाया कि भगवान ही परिवार की सेवा के रूप में हमारे साथ आए हैं, और हमें इस सेवा को पूरे समर्पण के साथ करना चाहिए। महाराज ने यह भी कहा कि भगवान ने बेटी के लिए उसका जीवनसाथी पहले ही निश्चित कर दिया है, हमें बस उसे खोजने का प्रयास करना है। इस तरह उन्होंने पारिवारिक जिम्मेदारियों को भी आध्यात्मिक कर्तव्य से जोड़ दिया।
मनुष्य जीवन का अंतिम लक्ष्य, भगवान का स्मरण
प्रेमानंद महाराज ने प्रशांत कुमार को जीवन का सबसे महत्वपूर्ण सबक सिखाया। उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन का अंतिम और सबसे श्रेष्ठ फल यह है कि जब हमारा शरीर शांत हो, तो वह भगवान की स्मृति में छूटे। उन्होंने प्रशांत कुमार से कहा कि भगवान ने उन्हें जीवन में सब कुछ दिया है, और अब उन्हें एकांत में भगवान का चिंतन करना चाहिए। यह चिंतन उनके जीवन को और भी सार्थक बनाएगा और उन्हें आंतरिक शांति प्रदान करेगा।