पटना। बिहार विधानसभा के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है। इसके बीच हाथरस में दलित युवती से बर्बरता का मामला सामने आया है। इस मामले में भाजपा की सहयोगी जदयू ने ही योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
पार्टी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप को योगी सरकार के लिए शर्मनाक बताया। पार्टी ने राज्य सरकार से पूछा है कि क्या देश में दलितों-वंचितों के साथ दुष्कर्म के मामले में न्याय के लिए प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना होगा?
जदयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा, दलितों-वंचितों की रक्षा किसी सरकार का पहला दायित्व है। हाथरस में जो हुआ वह योगी सरकार के लिए शर्मनाक है। एक दलित युवती को न्याय दिलाने के लिए अगर प्रधानमंत्री को हस्तक्षेप करना पड़े तो इससे बड़ी शर्म की बात किसी राज्य सरकार के लिए क्या होगी? यह यूपी सरकार के लिए डूब मरने जैसी बात है। क्या इस देश में दलितों और वंचितों को न्याय बिना दिल्ली के हस्तक्षेप के संभव नहीं है?
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त्यागी ने कहा, हाथरस की घटना ने निर्भया कांड को शर्मशार कर दिया है। पीड़िता को गंभीर स्थिति के बावजूद एम्स में भर्ती नहीं कराया गया। पीड़िता के मरने के बाद परिवार के लोग उसका अंतिम दर्शन नहीं कर सके। अंतिम क्रिया से पहले की परंपरा नहीं निभाने दी। परिजनों को मुखाग्नि नहीं देने दी। पुलिस वाले अंतिम संस्कार के दौरान हंसी-ठिठोली करते दिखे।
त्यागी ने कहा, दुष्कर्म नहीं होने और पीड़िता को प्रताड़ित न करने जैसे दावे किए गए। यह कौन से हिंदू संस्कृति है कि रात में परिवार वालों की मर्जी के खिलाफ और उनकी अनुपस्थिति में दाह संस्कार कर दिया जाए। इतनी क्रूरता तो निर्भया मामले में भी पुलिस-प्रशासन ने नहीं बरती। हाथरस पुलिस-प्रशासन के एक-एक व्यक्ति को निलंबित किया जाना चाहिए।
त्यागी ने कहा, निर्भया कांड के बाद आंदोलन से स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी थी, मगर छलावा साबित हुई। इससे जुड़ी कमेटियों की सिफारिशें ठंडे बस्ते में है।
जानें क्यूं भड़का जदयू?
बिहार विधानसभा चुनाव में विपक्ष हाथरस कांड को बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है। राजद के निशाने पर जदयू है। बुधवार को राजद नेता तेजस्वी यादव ने भाजपा के साथ जदयू पर निशाना साधा था। बिहार में करीब 16 फीसदी मतदाता दलित हैं। ऐसे में जदयू को इससे सियासी घाटे का डर सता रहा है।