धर्म डेस्क। इस वर्ष अश्विन मास में ही अधिमास लग रहा है। जिस महीने में सूर्य संक्रान्ति नहीं होती है वो महीना अधिमास कहलाता है। बता दें कि अधिमास 32 महीने, 16 दिन और 4 घटी के अन्तर से आता है। इसे अधिक मास, मलमास, मलिम्लुच मास और पुरुषोत्तममास भी कहा जाता है। 12 महीनों में वरुण, सूर्य, भानु, तपन, चण्ड, रवि, गभस्ति, अर्यमा, हिरण्यरेता, दिवाकर, मित्र और विष्णु 12 मित्र होते हैं और अधिमास इनसे अलग होता है। यही कारण है कि इसे मलिम्लुच मास कहते हैं। इस वर्ष आश्विन मास मे ही अधिमास लग रहा है। यह 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक है।
यह अधिमास 30 दिन का है। इन दिनों को लेकर लोगों के मन में भ्रम रहता है कि इन दिनों क्या करना चाहिए और क्या नहीं। अधिमास में ऐसे काम जो फल प्राप्ति की कामना से किए जाएं वो वर्जित होते हैं। अगर फल की आशा के बिना कोई काम किया जाता है तो वो इस मास में कर सकते हैं। आइए ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र से जानते हैं कि इन दिनों किन कामों को करना वर्जित है और किन कार्यों को किया सकता है।
कुएँ, बावली, तालाब, और बाग आदि शुरू करना, किसी भी प्रयोजन के व्रतों का आरंभ और उद्यापन, नवविवाहिता वधू का प्रवेश, पृथ्वी, हिरण्य और तुला आदि के महादान, सोमयज्ञ और अष्टका श्राद्ध, गौका यथोचित दान, आग्रयण, उपाकर्म, वेदव्रत, अकिपन्न, देवप्रतिष्ठा, मंत्र दीक्षा, यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह मुण्डन, पहले कभी न देखे हुए देव तीर्थों का निरीक्षण, संन्यास, अग्निपरिग्रह, राजा के दर्शन, अभिषेक, प्रथम यात्रा, चातुर्मासीय व्रतों का प्रथमारम्भ, कर्णवेध जैसे कार्य अधिमास में वर्जित हैं।
तीव्र ज्वरादि प्राणघातक रोगादि की रुद्र जपादि अनुष्ठान, कपिल षष्ठी, वषट्कारवर्जित आहुतियों का हवन, ग्रहण सम्बन्धी श्राद्ध,दान, पुत्र जन्म के कृत्य और पितृमरण के श्राद्धादि तथा गर्भाधान, पुंसवन, और सीमन्त जैसे संस्कार इस समय में किए जा सकेत हैं। इन दिनों नए कपड़े खरीदना और पहनना, आभूषण क्रय, फ्लैट, मकान, टी. वी, फ्रीज, कूलर, ए.सी., नया वाहन और नित्य उपयोग की वस्तुओं को खरीदने की मनाही नहीं है।
स्थिर संज्ञक मुहूर्त-18, 26 सितंबर, 7, 15 अक्टूबर और सभी रविवार। इन दिनों में शिक्षा से संबंधित खरीदारी या इंवेस्टमेंट, सगाई-रोका से जुड़े काम और नए कपड़े या ज्वेलरी बनाने जैसे कार्य किए जा सकेत हैं। ये दिन शपथ ग्रहण एवं पदभार ग्रहण के लिए भी शुभ हैं।