मथुरा की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंजू राजपूत ने पांच अक्टूबर को दिल्ली से हाथरस जा रहे पीएफआई के चार सदस्यों की न्यायिक हिरासत आज बढ़ा दी ।
पुलिस ने मंगलवार को अदालत से न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अनुरोध किया और कहा कि चूंकि साक्ष्य संकलन शेष रह गए हैं इसलिए न्यायिक हिरासत बढ़ाना आवश्यक है। पुलिस के अनुरोध को स्वीकार करते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने उनकी न्यायिक हिरासत बढ़ाकर दो नवम्बर कर दी है।
चारो अभियुक्तों की आनलाइन वर्चुअल पेशी हुई थी जिसमें क्षेत्राधिकारी (अपराध) धर्मेन्द्र सिंह चौहान ने न्यायिक हिरासत बढ़ाने का अनुरोध किया था। मथुरा जिले के मांट थाने के थानाध्यक्ष ने चारो अभियुक्तो अतीकुर्ररहमान, सिद्दीक, मसूद एवं आलम द्वारा राजद्रोह जैसे गंभीर अपराध करने के कारण उनसे अधिक पूछताछ के लिए उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजने का अनुरोध सात अक्टूबर को किया था तथा अदालत को बताया कि चारो अभियुक्त153ए/ 295ए/124ए/गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम)अधिनियम 1967 की धारा 17/ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम)अधिनियम 1967 की धारा 14/सूचना प्रोद्योगिकी(संशोधन) अधिनियम की धारा 65/ सूचना प्रौद्योगिकी(संशोधन) अधिनियम की धारा 72/ सूचना प्रौद्योगिकी(संशोधन) अधिनियम की धारा 76 जैसी गंभीर धाराओं के अपराधी हैं जिनमें राजद्रोह भी शामिल है ।
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उन्होंने इनसे और पूछताछ के लिए हिरासत में लिया जाना आवश्यक बताया था। इस संबंध में कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि यदि अपराध ऐसा है जिसमें दस साल या उससे अधिक सजा दी जा सकती है तो 90 दिन के बाद अभियुक्तों को अदालत की ओर से स्वतः जमानत दे दी जाती है। यदि अपराध दस साल से कम सजा का है तो 60 दिन बाद जमानत मिलती है । पांच अक्टूबर को मांट टोल प्लाजा में गिरफ्तार किये गए इन चारो ही अभियुक्तों को सोमवार को एसडीएम मांट की अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। चारो ही अभियुक्त हाथरस जा रहे थे तथा उनके पास से आपत्तिजनक पैम्फ्लेट तथा अन्य सामग्री बरामद की गई थी। मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में जेल भेजने के साथ साथ अभियुक्तों से कहा था कि वे अपनी जमानत के लिए न्यायालय में कागजात के साथ साथ एक एक लाख रूपए का मुचलका पेश कर सकते हैं। यदि यह शर्त पहले पूरी हो जाती है तो उन्हें पहले भी जमानत दी जा सकती है।