नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई मौकों पर देश में एक साथ चुनाव कराने की मांग कर चुके हैं। अब इस दिशा में उन्होंने कदम बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय में इस महीने एक आम मतदाता सूची तैयार करने पर चर्चा की। इस सूची का इस्तेमाल लोकसभा, विधानसभाओं सहित सभी स्थानीय निकाय चुनाव के लिए हो सकता है।
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बता दें कि सरकार ने आम मतदाता सूची और एक साथ चुनावों के खर्च और संसाधन बचाने के तरीके के तौर पर पेश किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में हुई बैठक में इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों में बदलाव को लेकर चर्चा हुई। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा की अध्यक्षता में 13 अगस्त को बैठक हुई थी। इसमें दो विकल्पों पर चर्चा हुई।
पहला, संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए में बदलाव किया जाए, ताकि देश में सभी चुनावों के लिए एक मतदाता सूची अनिवार्य हो जाए। दूसरा, राज्य सरकारों को उनके कानून में बदलाव करने के लिए मनाया जाए, ताकि वे नगर निगमों और पंचायत चुनावों के लिए चुनाव आयोग की मतदाता सूची का इस्तेमाल करें। बैठक में कैबिनेट सचिव राजीव गौबा के अलावा, विधान सचिव जी नारायण राजू, पंचायती राज सचिव सुनील कुमार और चुनाव आयोग के तीन प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
जानें वर्तमान में क्या है कानूनी प्रावधान?
संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए राज्यों में स्थानीय निकायों के चुनाव से संबंधित हैं। इसके तहत राज्य चुनाव आयोग को मतदाता सूची तैयार कराने और चुनाव कराने के अधिकार दिए गए हैं। वहीं संविधान के अनुच्छेद 324(1) में केंद्रीय चुनाव आयोग को संसद और विधानसभाओं के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और नियंत्रित करने के अधिकार दिए गए हैं। इसका मतलब है कि स्थानीय निकाय चुनाव के लिए आयोग राज्य स्तर पर स्वतंत्र हैं और उन्हें केंद्रीय चुनाव आयोग से किसी तरह की इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है।
एक महीने में सुझाव देंगे कैबिनेट सचिव
बैठक में जी सुनील कुमार राज्यों को मनाने के पक्ष में दिखाई दिए। वहीं मिश्रा ने कैबिनेट सचिव से कहा है कि वे राज्यों से बात करें और एक महीने में अगले कदम को लेकर सुझाव दें।