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17 नगर निगम बने स्मार्ट सिटी, शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर में भी हुआ है क्रांतिकारी बदलाव

2017 से पहले उत्तर प्रदेश में सड़कों के गड्ढे बने थे पहचान, अब एक्सप्रेसवे और बेहतरीन कनेक्टिविटी दे रहे विकास की नई रफ्तार

Writer D by Writer D
05/08/2025
in उत्तर प्रदेश, राजनीति, लखनऊ
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CM Yogi

CM Yogi

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश, जो कभी गड्ढों से भरी सड़कों, बदहाल बुनियादी ढांचे और विकास की सुस्त रफ्तार के लिए पहचाना जाता था, आज देश के सबसे तेजी से विकसित होते राज्यों में शुमार हो चुका है। 2017 से पहले की सरकारों के कार्यकाल में न तो ठोस इच्छाशक्ति थी और न ही स्पष्ट योजना। राज्य में निवेश का सूखा था, सड़कों की हालत जर्जर थी, हवाई और रेल कनेक्टिविटी सीमित थी और शहरी विकास अव्यवस्थित था। ‘एक जिला, एक माफिया’ की पहचान वाला उत्तर प्रदेश, कानून-व्यवस्था और अधोसंरचना दोनों के मामले में पिछड़ा हुआ माना जाता था। लेकिन 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) के नेतृत्व में जब प्रदेश में सुशासन की बागडोर संभाली गई, तब केंद्र-राज्य समन्वय की बदौलत उत्तर प्रदेश में इंफ्रास्ट्रक्चर क्रांति की नींव पड़ी। आज एक्सप्रेसवे से लेकर एयरपोर्ट तक, मेट्रो से लेकर वॉटरवे तक हर क्षेत्र में यूपी देश को नेतृत्व दे रहा है। आज सीएम योगी (CM Yogi) के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश केवल एक राज्य नहीं, बल्कि भारत की नई आर्थिक रफ्तार का इंजन बन चुका है।

बदहाल सड़क से लेकर एक्सप्रेसवे के विस्तार तक

2017 से पहले उत्तर प्रदेश की पहचान गड्ढायुक्त सड़कों से होती थी। लखनऊ–आगरा एक्सप्रेसवे अधूरा था और पूर्वांचल, बुंदेलखंड तथा गंगा एक्सप्रेसवे जैसी योजनाएं केवल फाइलों में सिमटी थीं। गांव और कस्बे शहरों से कटे हुए थे, जिससे आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होती थीं। आज वही प्रदेश देश में सर्वाधिक एक्सप्रेसवे वाला राज्य बन चुका है। गोरखपुर लिंक, पूर्वांचल, बुंदेलखंड और आने वाले दिनों में गंगा एक्सप्रेसवे की सौगात प्रदेश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार दे रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 7 एक्सप्रेसवे संचालित हो रहे हैं, जबकि 15 एक्सप्रेसवे निर्माणाधीन और प्रस्तावित हैं। गंगा एक्सप्रेसवे के पूरा होते ही देश में हर 10 में 6 किमी. एक्सप्रेसवे का हिस्सा उत्तर प्रदेश में होगा। यूपी में एक्सप्रेसवे न केवल राजधानी या बड़े शहरों, बल्कि बुंदेलखंड, पूर्वांचल और तराई जैसे क्षेत्रों को भी जोड़ रहे हैं। यही नहीं, प्रत्येक एक्सप्रेसवे के साथ औद्योगिक क्लस्टर, एमएसएमई पार्क और कृषि आधारित व्यवसाय विकसित किए जा रहे हैं जो अर्थव्यवस्ता और रोजगार को बढ़ावा दे रहे हैं।

हवाई कनेक्टिविटी में ऐतिहासिक छलांग

2017 से पहले यूपी में केवल लखनऊ और गोरखपुर एयरपोर्ट प्रमुख रूप से क्रियाशील थे। इंटरनेशनल कनेक्टिविटी केवल लखनऊ तक सीमित थी। आज उत्तर प्रदेश में 16 हवाई अड्डे क्रियाशील हैं, जिनमें 4 इंटरनेशनल एयरपोर्ट (लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर, अयोध्या) शामिल हैं। जेवर में देश का सबसे बड़ा नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बन रहा है, जिसके 2025 के अंत तक परिचालन में आने की पूरी संभावना है। प्रदेश 5 इंटरनेशनल एयरपोर्ट और 16 घरेलू हवाई अड्डों के साथ 21 एयरपोर्ट वाला राज्य बनने की ओर अग्रसर है।

रेल, मेट्रो और वॉटरवे में भी क्रांति

2017 से पहले केवल लखनऊ मेट्रो पर काम चल रहा था, जिसकी रफ्तार भी बेहद धीमी थी। आज यूपी में लखनऊ, कानपुर और आगरा समेत 5 शहरों में मेट्रो की सुविधा है, जबकि दिल्ली–मेरठ के बीच देश की पहली रैपिड रेल शुरू हो चुकी है और जल्द ही मेरठ में मेट्रो सुविधा शुरू होने वाली है। इसके अतिरिक्त कई अन्य शहरों (प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, झांसी, बरेली) में मेट्रो ग्राउंड‑वर्क जारी है, जिन्हें 2025–26 तक चरणबद्ध तरीके से शुरू करने की योजना है। इस तरह, यूपी अब देश का वह राज्य है जिसमें सर्वाधिक शहरों में मेट्रो सेवाएं संचालित हैं। वहीं, वाराणसी से हल्दिया तक वॉटरवे और अन्य जलमार्गों पर भी काम हो रहा है। उत्तर प्रदेश में भारत का सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क (16 हजार किमी. से अधिक) है।

औद्योगिक ढांचे में नई ऊर्जा

2017 से पहले यूपी निवेश के नक्शे से बाहर था। लॉजिस्टिक हब और वेयरहाउसिंग की कोई स्पष्ट नीति नहीं थी। आज जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, डिफेंस कॉरिडोर, मेडिकल डिवाइस पार्क और डेटा सेंटर पार्क जैसे प्रोजेक्ट्स से यूपी निवेश और रोजगार का हब बनता जा रहा है। केवल यीडा क्षेत्र में ही 2023-25 के दौरान 27,521 करोड़ का निवेश और 16,405 नए रोजगार सृजित हुए हैं। इसके अतिरिक्त, लखनऊ में पीएम मित्र मेगा टेक्सटाइल पार्क, बरेली में मेगा फूड पार्क, उन्नाव में ट्रांस गंगा सिटी, गोरखपुर में प्लास्टिक पार्क, वाराणसी में पहला फ्रेट विलेज समेत कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है।

शहरी विकास में नई पहचान

2017 से पहले यूपी के शहर कूड़े और अराजकता के लिए बदनाम थे। आज 17 नगर निगम स्मार्ट सिटी बन चुके हैं। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत सभी 17 नगर निगमों में 10 हजार 300 करोड़ से अदिक की 757 परियोजनाएं प्रगति पर हैं। लखनऊ, कानपुर और वाराणसी को स्टेट डेवलपमेंट रीजन के रूप में विकसित किया जा रहा है। सीसीटीवी नेटवर्क, सेफ सिटी प्रोजेक्ट और क्लीन सिटी मिशन ने प्रदेश को नई पहचान दिलाई है। वाराणसी में देश की पहली रोपवे सेवा भी शुरू होने जा रही है।

ग्रामीण कनेक्टिविटी से व्यापार और सेवा पहुंच मजबूत

बीते 8 वर्षों में प्रतिदिन औसतन 11 किमी नई सड़क और 9 किमी सड़क चौड़ीकरण हुआ है। अब तक 32,000+ किमी ग्रामीण मार्ग और 25,000 किमी सड़कें सुदृढ़ हो चुकी हैं। हर जिला मुख्यालय को फोरलेन, तहसील को फोरलेन और ब्लॉक को टू/फोरलेन सड़कों से जोड़ने की योजना पर तेजी से काम चल रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी में हुए सुधार से पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है। 2017 में जहां यूपी में 21 करोड़ पर्यटक आते थे, वहीं 2023 में यह संख्या बढ़कर 67 करोड़ तक पहुंच गई। प्रयागराज महाकुंभ में ही 67 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे। बढ़ती कनेक्टिविटी, धार्मिक शहरों का कायाकल्प और इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश ने यूपी को पर्यटन की राजधानी बना दिया है।

Tags: Airport expansion Uttar PradeshExpressway connectivityMetro network UPRoad infrastructure UPSmart cities in UPUttar Pradesh infrastructureWaterways Uttar PradeshYogi Adityanath development
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